राजस्थान के मेले एक नजर

1 राजस्थान का सबसे रगीन मेला - पुष्कर मे2 बाणगंगा मेला - जयपुर में3 बोहरा समाज का उर्स - गलियाकोट (डूगरपूर) यहां पर आलिमशाह की दरगाह पर उर्स भरता है।4 जैनियो का सबसे बडा मेला -महावीर जी का मेला (हिडोन, करौली)5 मुस्लिमो का सबसे बडा उर्स - ख्वाजा साहब का उर्स (अजमेर)6 सिखो का सबसे बडा मेला - साहवा (चुरू)6 आदिवासियो का सबसे बडा मेला - बेणेश्वर मेला(नवाटपुर ,डंूगरपुर) है।यह माघपूर्णिमा को लगता है। इस मेले में आदिवासियो का परिचय सम्मेलन भी होता है।7 मेरवाडा का सबसे बडा मेला -पुष्कर मेला हैं।8 जांगल प्रदेश का सबसे बडा मेला - कोलायत है।9 हाडौती प्रदेश का सबसे बडा मेला - सीताबाडी मेला (कोटा) है।10 हिन्दू जैन सद्भाव का सबसे बडा मेला -ऋषभदेव का मेला है।11 मत्स्य प्रदेश का सबसे बडा मेला -भतृहरि का मेला (अलवर) है।12 साम्प्रदायिक सद्भाव का सबसे बडा मेला रामदेव जी का मेला है।13 लालदास जी का मेला...

राजस्थान के संभाग

1 राजस्थान के पूर्ण एकीकरण के समय 26 जिले थे 26 वा जिला अजमेर था। और इसी समय 5 संभाग थे।2 1962 मे सुखाडिया सरकार ने संभागीय व्यवस्था को समाप्त कर दिया लेकिन 1987 को हरिदेव जोशी सरकार ने राज्य को छः सभागो जयपुर , अजमेर , कोटा , उदयपुर , बीकानेर , जोधपुर में बाटकर संभागीय व्यवस्था पुनः कायम की।3 वर्तमान में राज्य में सात संभाग हैं। भरतपुर को सांतवा संभाग बनाने की अधिसूचना 5 फरवरी 2005 को जारी की गई।4 जोधपुर संभाग का क्षेत्रफल सबसे ज्यादा व भरतपुर संभाग सबसे छोटा है।5 राजस्थान का 31 वा जिला हनुमानगढ़ ( 12 जुलाई 1992) 32 वा जिला करौली ( 19 जुलाई 1997) बना।6 राजस्थान में कुल 33 जिले हैं 26 जनवरी 2005 को प्रतापगढ 33 वा जिला बनाया ग...

राजस्थान के विश्वविद्यालय

राजस्थान का प्रथम वि.वि राजस्थान वि.वि है।राजस्थान वि.वि देश का एकमात्र वि.वि हैं जहां पर एड्स परामशZ केन्द्र है।राजस्थान का प्रथम कानून वि.वि. जोधपुर मे है।राजस्थान का प्रथम संस्कृत वि.वि. जयपुर मे है।राजस्थान का प्रथम खुला वि.वि. जोधपुर मे है।देश का प्रथम खुला वि.वि. हैदराबाद मे खुला ।देश का प्रथम होम्योपैथिक वि.वि. जयपुर में है।देश का प्रथम योग वि.वि. उदयपुर में है।देश का प्रथम जल वि.वि. अलवर में है।वनस्थली विधापीठ टोंक में हैं जिसकी स्थापना हीरालाल शास्त्री ने 1935 में की इसका प्राचीन नाम शांति बाइ कुटीर थाबिडला इन्स्टूयूट टेक्नोलोजी सांइस पीलानी मे है।जैन विश्वभारती लाडनू में है।राजस्थान विधापीठ उदयपुर मे ...

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत

अशोक गहलोत का जीवन-परिचय राजस्थान के वर्तमान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का जन्म 3 मई, 1951 को जोधपुर, राजस्थान में हुआ था. इनका संबंध राजस्थान के एक प्रमुख राजपूत समुदाय माली से है. अशोक गहलोत ने विज्ञान और लॉ में स्नातक और अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की है. वर्ष 1977 में अशोक गहलोत का विवाह सुनीता गहलोत के साथ संपन्न हुआ था. इनके दो बच्चे हैं. यह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य हैं. अशोक गहलोत का व्यक्तित्व अशोक गहलोत स्कूली दिनों से ही समाज-सेवा और राजनीति से जुड़े रहे हैं. वह एक अच्छे राजनेता और प्रभावशाली मुख्यमंत्री हैं. अशोक गहलोत का राजनैतिक सफर अशोक गहलोत विद्यार्थी जीवन से ही राजनीति से जुड़ गए थे. इन्होंने अपना पहला विधान सभा चुनाव वर्ष 1980 में जोधपुर निर्वाचन क्षेत्र से जीता था. उसके बाद अशोक गहलोत ने इसी निर्वाचन क्षेत्र से 8वी, 10वीं, 11वीं, 12वीं ...

राजस्थान के मुख्य सामारोह

• मेवाड सामारोह - उदयपुर मे• गणगौर सामारोह -जयपुर• मारवाड सामारोह -जोधपुर में• तीज सामारोह -जयपुर• मरू सामारोह -जैसलमेर• दशहरा सामारोह -कोटा• हाथी सामारोह -जयपुर• बैलून महोत्सव -बाडमेर• थार महोत्सव - बाडमेर• ऊंट महोत्सव - बीका...

राजस्थान का एकीकरण

राजस्थान भारत का एक महत्ती प्रांत है। यह तीस मार्च 1949 को भारत का एक ऐसा प्रांत बना जिसमें तत्कालीन राजपूताना की ताकतवर रियासतों ने विलय किया। इसी कारण इसका नाम राजस्थान बना। राजस्थान यानि राजपूतो का स्थान,इसका नाम राजस्थान होने के पीछे यही एकमात्र मजबूत तर्क है। अगर राजपूताना की देशी रियासतों के विलय के बाद बने इस राज्य की कहानी देखे तो यह प्रासंगिक भी लगता है।भारत के संवैधानिक इतिहास में राजस्थान का निर्माण एक महत्वपूर्ण उपलब्धि थी । ब्रिटिश शासको द्वारा भारत को आजाद करने की घोषणा करने के बाद जब सत्ता हस्तांतरण की कार्यवाही शुरू की तभी लग गया था कि आजाद भारत का राजस्थान प्रांत बनना और राजपूताना के तत्कालीन हिस्से का भारत में विलय एक दूभर कार्य साबित हो सकता है। आजादी की घोषणा के साथ ही राजपूताना के देशी रियासतों के मुखियाओं में स्वतंत्र राज्य में भी अपनी सत्ता बरकरार रखने की...

राजस्थान - भौगोलिक और आर्थिक परिप्रेक्ष्य

राजस्थान की चोहरी इसे एक पतंगाकार आकृति प्रदान करता है। राज्य २३ ० से ३० ० अक्षांश और ६९ ० से ७८ ० देशान्तर के बीच स्थित है। इसके उत्तर में पाकिस्तान, पंजाब और हरियाणा, दक्षिण में मध्यप्रदेश और गुजरात, पूर्व में उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश एवं पश्चिम में पाकिस्तान है।सिरोही से अलवर की ओर जाती हुई ४८० कि.मी. लम्बी अरावली पर्वत श्रृंखला प्राकृतिक दृष्टि से राज्य को दो भागों में विभाजित करती है। राजस्थान का पूर्वी सम्भाग शुरु से ही उपजाऊ रहा है। इस भाग में वर्षा का औसत ५० से.मी. से ९० से.मी. तक है। राजस्थान के निर्माण के पश्चात् चम्बल और माही नदी पर बड़े-बड़े बांध और विद्युत गृह बने हैं, जिनसे राजस्थान को सिंचाई और बिजली की सुविधाएं उपलब्ध हुई है। अन्य नदियों पर भी मध्यम श्रेणी के बांध बने हैं। जिनसे हजारों हैक्टर सिंचाई होती है। इस भाग में ताम्बा, जस्ता, अभ्रक, पन्ना, घीया पत्थर और अन्य...

वीर तेजाजी की स्मृति में डाक टिकट जारी

वीर तेजाजी की स्मृति में डाक टिकट जारी केन्द्रीय संचार एवं प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री सचिन पायलट ने 7 सितंबर को नागौर जिले के खरनाल में वीर तेजाजी की स्मृति में जारी डाक टिकट का रिमोट दबा कर विमोचन किया। इस अवसर पर आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि देश का इतिहास बड़ा गौरवमयी रहा है। यहां भाषा, खान-पान, रहन-सहन और अन्य प्रकार की विविधताएं होने के बावजूद पूरा देश एकता रूपी माला में बंधा हुआ है। हमारे लोक देवता तथा लोकसंत लाखों-करोड़ों देशवासियों की भावनाओं से जुड़े हैं तथा आस्था के प्रतीक हैं। प्रत्येक गाँव तथा ढाणी में उन्हें श्रद्धा की भावना से पूजा जाता है। केन्द्र सरकार द्वारा जनता की इसी आस्था के सम्मान करते लिए वीर तेजा जी पर डाक टिकट जारी किया गया है। उन्होंने कहा कि डाक टिकट विमोचन के बाद वीर तेजाजी की कीर्ति और वीरता की...

राजस्थान ने रचा इतिहास, पहली बार जीती रणजी ट्राफी

डोदा। राजस्थान क्रिकेट टीम ने पहली बार रणजी ट्राफी जीत कर इतिहास रच दिया है। पांचवे और अंतिम दिन के खेल के अंत में फाइनल मैच ड्रा रहने के कारण राजस्थान को बडोदा पर पहली पारी में 33 रन की लीड के आधार पर विजेता घोषित किया गया। पांचवे और अंतिम दिन 375 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए बडोदा ने खेल खत्म होने तक अपरी दूसरी पारी में 14 ओवर में 28/4 बना लिए थे। इससे पहले दिन में खेल की शुरूआत होने पर चार विकेट पर 201 रन बना चुके राजस्थान ने खेलना शुरू किया।हाल ही आईपीएल 4 में राजस्थान रॉयल्स का हिस्सा बने लेफ्ट आर्म स्पिनर अशोक मनेरियसा के शानदार शतक की बदौलत राजस्थान ने दूसरी पारी में 341 रन बनाए। पांच दिवसीय मैच के अंतिम दिन राजस्थान ने बडोदा पर 234 रनों की लीड ले ली थी। 36 साल में पहली बार रणजी के फाइनल में पहुंचे राजस्थान ने पहली पारी में 394 रन बनाए। बडोदा को पहली पारी में 361 रनों के...

राजस्थान पर्यटन

गुलाबी नगर जयपुर भारत के एतिहासिक एवं सांस्कृतिक राज्यों में राजस्थान अग्रणीय है। प्राचीन सभ्यता में डूबे हुए शहर की विविधता हर रूप में उभर कर आती है। राजस्थान की राजधानी जयपुर एक प्राचीन शहर है जो गुलाबी शहर के नाम से भी प्रसिद्ध है। इसकी पश्चिम ओर स्थित है थार मरुभूमि जो दुनिया के मशहूर रेगिस्तानों में से एक है।   आकर्षक पर्यटन स्थलशहर में बहुत से पर्यटन आकर्षण हैं, जैसे जंतर मंतर, जयपुर, हवा महल, सिटी पैलेस, गोविंद देवजी का मंदिर, बी एम बिड़ला तारामण्डल, आमेर का किला, जयगढ़ दुर्ग आदि। जयपुर के रौनक भरे बाजारों में दुकानें रंग बिरंगे सामानों से भरी हैं , जिनमें हथकरघा उत्पाद, बहुमूल्य पत्थर, हस्तकला से युक्त वनस्पति रंगों से बने वस्त्र, मीनाकारी आभूषण, पीतल का सजावटी सामान,राजस्थानी चित्रकला के नमूने,...

राजस्थान मे प्रमुख इतिहासकार

शारीरिक पुष्टता कम थी, प्रवास का कार्य कठिन था। कोई दूसरा विकल्प न होने के कारण गोपीनाथ को यह कार्य न चाहते हुए भी करना पड़ा। निरीक्षण का क्षेत्र विस्तृत था- भीलवाड़ा, चित्तौड़ व उदयपुर। इस प्रवास में उन्हें ऐतिहासिक व धार्मिक स्थल देखने का अवसर प्राप्त हुआ। यहां के जनजीवन, यहां की प्रकृति, लोगों की आर्थिक स्थिति, तीज त्योहार, खेती आदि को नजदीक से उन्होंने देखा। अब उन्हें इनके बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करने की इच्छा हुई। जिस प्रवास पर प्रारम्भ में जाने से भय लगता था वह अब उनके जिज्ञासा का कारण बन गया। उनकी यह इच्छा तीव्रतर होती गई। बाद में उन्होंने यह निश्चय किया कि वे एम.ए. की परीक्षा इतिहास में देंगे। उस समय आगरा विश्वविद्यालय से स्वयंपाठी के रूप में परीक्षा देने की व्यवस्था थी। इतिहास की पुस्तकें उन्होंने “इम्पीरियल लाइब्रेरी कलकत्ता” के सदस्य बनकर प्राप्त कर लीं। ये...

राजस्थान का शौर्यपूर्ण इतिहास

देश (भारत) की आजादी के पूर्व राजस्थान १९ देशी रियासतों में बंटा था, जिसमें अजमेर केन्द्रशासित प्रदेश था। इन रियासतों में उदयपुर, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़ और शाहपुरा में गुहिल, जोधपुर, बीकानेर और किशनगढ़ में राठौड़ कोटा और बूंदी में हाड़ा चौहान, सिरोही में देवड़ा चौहान, जयपुर और अलवर में कछवाहा, जैसलमेर और करौली में यदुवंशी एवं झालावाड़ में झाला राजपूत राज्य करते थे। टोंक में मुसलमानों एवं भरतपुर तथा धौलपुर में जाटों का राज्य था। इनके अलावा कुशलगढ़ और लावा की चीफशिप थी। कुशलगढ़ का क्षेत्रफल ३४० वर्ग मील था। वहां के शासक राठौड़ थे। लावा का क्षेत्रफल केवल २० वर्ग मील था। वहां के शासक नारुका थे। राजस्थान के शौर्य का वर्णन करते हुए सुप्रसिद्ध...

राजस्थान का इतिहास

आजादी के पूर्व राजस्थान 19 देशी रियासतों में बंटा था, जिसमें अजमेर केन्द्रशासित प्रदेश था। इन रियासतों में उदयपुर, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़ और शाहपुरा में गुहिल, जोधपुर, बीकानेर और किशनगढ़ में राठौड़ कोटा और बूंदी में हाड़ा चौहान, सिरोही में देवड़ा चौहान, जयपुर और अलवर में कछवाहा, जैसलमेर और करौली में यदुवंशी एवं झालावाड़ में झाला राजपूत राज्य करते थे। टोंक में मुसलमानों एवं भरतपुर तथा धौलपुर में जाटों का राज्य था। इनके अलावा कुशलगढ़ और लावा की चीफशिप थी। कुशलगढ़ का क्षेत्रफल 340 वर्ग मील था। वहां के शासक राठौड़ थे। लावा का क्षेत्रफल केवल 20 वर्ग मील था। वहां के शासक नारुका थे। 8वीं शताब्दी में जालौर में प्रतिहार और मेवाड़ के गहलोत अरब आक्रमण की बाढ़ को न रोकते तो सारे भारत में अरबों की तूती बोलती न आती। मेवाड़ के रावल जैतसिंह ने सन् 1234 में दिल्ला के सुल्तान इल्तुतमिश...

 
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